Sustainable Management of Natural Resources 

Sustainable Management of Natural Resources (web links and videos):

2)

https://bscdesigner.com/sustainability-scorecard.htm

3)

4)

https://en.wikipedia.org/wiki/Sustainable_management

5)

https://www.mindler.com/careerlibrary/social-sciences-humanities/career-in-sustainability-management-in-india

Tree planation Campaign

AN AMBULANCE FOR JAIPUR’S AILING TREES

https://timesofindia.indiatimes.com/city/jaipur/distributing-cloth-bags-planting-saplings-running-a-tree-bank-green-warriors-of-jaipur-take-the-lead/articleshow/69664849.cms

10+ छायादार पेड़ के नाम व लाभ

हरे-भरे, घने और छायादार पेड़ के नाम : घर में या आसपास घनी छाया देने वाले ये वृक्ष लगायें। तेजी से बढ़ने वाले ये पेड़ हवा शुद्ध करते हैं और माहौल की हरियाली और सुंदरता बढ़ाते हैं। ये सभी छायादार वृक्ष भारत में आसानी से मिल जाते हैं और इनकी देखभाल भी मुश्किल नहीं है। गर्मी के मौसम में ऐसे पेड़ ठंडी छाया देते हैं और वातावरण के तापमान को कम करते हैं।

10+ छायादार पेड़ के नाम व लाभ | Chhayadar Paudhe

Maulshree Tree in hindi

Tree plantation – Water

युवा जल संरक्षण समिति (रजि०)

युवा जल संरक्षण समिति ऐसे शिक्षित युवाओं का समूह है जिसने अपने क्षेत्र में गिरते भू जल स्तर की कमी से जूझते हुए लोगों को देख कर न सिर्फ भू जल संरक्षण की प्रतिज्ञा ली है बल्कि हरहाल में लोगों को जल के संरक्षण के प्रति जागरूक करने, जल का अनावश्यक दोहन न करने व भविष्य में जल संकट के कारण आने वाली चुनौतियां से लोगो को अवगत कराने के लिए भी प्रतिबद्ध है। युवा जल संरक्षण समिति शहर की एक_एक गली में घूम लोगों को जल के महत्व के प्रति जागरूक करने का काम कर रही है। समिति के युवा अब तक विभिन्न कॉलोनियों में जाकर भू जल का अनावश्यक दोहन करने वाले हजारों लोगों को जल के महत्व के प्रति जागरूक कर चुके हैं तथा सैकड़ों की संख्या में खुले पानी के कनेक्शन पर संबंधित अधिकारी की मदद से टोंटिया लगा कर लाखों लीटर पानी की बरबादी को रोक चुके हैं।

समिति की शुरुआत से पहले समिति के ही कुछ युवाओं ने आपस में मिलकर सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने की पहल की। धीरे धीरे शहर के युवाओं व अन्य लोगों का जल संरक्षण के प्रति जुड़ाव को देखते हुए इस समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया जिसमें आज सैकड़ों की संख्या में लोग घर घर जाकर लोगों का जागरूक करने का काम कर रहे हैं।समिति का मुख्य उद्देश्य जल का अनावश्यक दोहन रोकना, लोगों तक जल संरक्षण के उपाय पहुंचाना, जल का सदुपयोग करना, खाली व सूखे पड़े तालाबों, जलाशयों, नालों आदि को पुनः जल संग्रह हेतु उपयोग में लाना, घरों से निकलने वाले पानी को नदी नालों में न बहाकर पुनः रिसाइकिल कर उपयोग में लाना, बरसात के पानी को वॉटर हार्वेस्टिंग आदि के माध्यम से गिरते भू जल स्तर को बढ़ाना आदि हैं।

जल जीवन का आधार है। जल न हो तो हमारे जीवन का आधार ही समाप्त हो जाये। दैनिक जीवन के कई कार्य बिना जल के सम्भव नहीं हैं। लेकिन धीरे-धीरे धरती पर जल की कमी होती जा रही है। साथ ही जो भी जल उपलब्ध है वह भी काफी हद तक प्रदूषित है। जिसका इस्तेमाल खाने-पीने एवं फसलों में कर लोग गंभीर बीमारियों से परेशान हैं। धरती पर जीवन बचाये रखने के लिए हमें इसके बचाव की ओर ध्यान देना पड़ेगा। हमें जल को व्यर्थ उपयोग नहीं करना चाहिये और उसे प्रदूषित होने से भी बचाना चाहिये।

if you like it read more here : https://www.yjss.in/about.php

Tree Plantation : Water

Water Budgeting film in Hindi

This film ‘Pani ke Niyojan ki Kahani’ revolves around two farmer friends Sakharam and Tukaram, from Songaon and Phulgaon villages respectively. The film brings out that in Phulgaon village, the villagers have done water budgeting and adopted effective and efficient ways of managing water

http://www.wotr.org/

Watershed Organisation Trust (WOTR) 

Introduction To Permaculture | Creating Sustainable Ways Of Agriculture | The Art Of Living

Introduction To Permaculture by Binay Kumar from Art of Living on how to create sustainable ways of Agriculture. Major challenge with the food business in the world today is because “food” is looked separate from agriculture. Only 30% of the chemicals put in the soil are absorbed by the plant. If it was 100% then food would have been lethal. Permaculture works keeping in mind the health of the soil, water & air.

https://m.facebook.com/AOLpermaculture/

Tree Plant: From Drought To Prosperity (Hindi) | Paani Foundation | Satyamev Jayate Water Cup

From Drought To Prosperity (Hindi) | Paani Foundation | Satyamev Jayate Water Cup

From Drought To Prosperity (Hindi) | Paani Foundation | Satyamev Jayate Water Cup

When a mass movement informed by science and motivated by the desire for public interest succeeds, streams flow again, and barren, parched land becomes laden with crops. That’s the effect of the Satyamev Jayate Water Cup 2017 in which over 1,300 villages took part. The journey of the second Water Cup is documented in this video. — Like us on Facebook: http://www.facebook.com/satyamevjayate | http://www.facebook.com/paanifoundation Follow us on Twitter: http://www.twitter.com/satyamevjayate | http://www.twitter.com/paanifoundation Subscribe to our YouTube channel: http://www.youtube.com/c/paanifoundation Visit our website: http://www.paanifoundation.in | http://www.paanifoundation.in/mr Our email ID: paanifoundation@paanifoundation.in

Tree Plantation: सिंचाई की फिक्र / 4000 साल पुरानी एक पौधा-एक मटका पद्धति, मोदी ने भी इसे अपनाने की अपील की

सिंचाई की फिक्र / 4000 साल पुरानी एक पौधा-एक मटका पद्धति, मोदी ने भी इसे अपनाने की अपील की

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में मटका सिंचाई पद्धति का जिक्र मन की बात में किया था। उन्होंने अफ्रीका की 4 हजार साल पुरानी एक पौधा-एक मटका पद्धति की जानकारी ब्लॉग में भी दी। इस पद्धति से पानी को 70% तक बचाया जा सकता है। यह ऐसे राज्यों में कारगर है, जो हर साल जलसंकट से जूझते हैं। गुजरात, मध्यप्रदेश और दूसरे राज्यों में इसे अपनाया जा रहा है। जानिए क्या है पद्धति और कैसे यह बंजर जमीन में हरियाली लाती है।



पद्धति से जुड़े पांच सवाल-जवाब


ऐसे करें पौधों की सिंचाई

पौधों को पानी पहुंचाने का यह सबसे कारगर तरीका माना जाता है। मटका सिंचाई से सीधे जड़ों तक पानी पहुंचता है और मिट्टी में नमी बरकरार रहती है। इससे पौधा हरा-भरा रहता है। सिंचाई का यह विकल्प 70% तक पानी की बचत करता है।
मटका सिंचाई की शुरुआत अफ्रीका में करीब 4 हजार साल पहले हुई थी। छिद्रित मटके से पानी को मिट्टी अपनी जरूरत के मुताबिक खींचती है। अफ्रीका में इसे ओल्ला कहते हैं और सिंचाई के लिए पतले मुंह वाले मटके का इस्तेमाल किया जाता है। 
हजारों साल से इस पद्धति का प्रयोग ईरान, दक्षिण अमेरिका में किया जा रहा है। इसके बाद इसे भारत, पाकिस्तान, ब्राजील, इंडोनेशिया, जर्मनी जैसे देशों ने भी अपनाया। मटका सिंचाई पद्धति का जिक्र कृषि विज्ञान पर लिखी गई पहली किताब फेन-शेंग ची-शू में किया गया है। किताब के मुताबिक, चीन में इस पद्धति का प्रयोग 2000 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। 
इसे लगाने के लिए एक औसत आकार का मटका लें। मटके को पौधे से कुछ दूरी पर जमीन के अंदर लगा दें। जमीन पर सिर्फ मटके का मुंह दिखना चाहिए। अब इसे ऊपर तक पानी से भर दें। 
मटके की दीवार से धीरे पौधे तक पहुंचता रहेगा। अब सतह पर पौधे के चारों ओर घास-फूस या सूखी पत्तियां डाल दें ताकि सूरज की धूप मिट्टी की नमी न खत्म कर सके।
अगर पौधा नहीं है, बीज डाल रहे हैं तो मिट्टी के अंदर बीज और मटके से रिसने वाले पानी में गैप कम रखें ताकि यह आसानी से पौधे में तब्दील हो सके।


देश के कई राज्यों में अपनाई पद्धति

मध्य प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के मुताबिक, प्रदेश के बुरहानपुर में 5 साल से मटका पद्धति को अपनाया जा रहा है। यहां के गांवों में हरियाली बढ़ रही है। शहर के कई स्थानों में इसका असर देखा जा सकता है। अलनीनो प्रभाव से मानसून की बिगड़ी रफ्तार के कारण यहां जल संरक्षण के ऐसे उपाय अपनाए जा रहे हैं। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग में लिखा कि इस पद्धति का इस्तेमाल गुजरात के कई हिस्सों में कई सालों से किया जा रहा है। नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेंटर फॉर एन्वायरमेंट कंसर्न, हैदरबाद का कहना है कि यह सिंचाई की अनूठी पद्धति है, जिससे जड़ों के हर हिस्से तक पानी पहुंचता है।
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर, कुर्नूल और चित्तूर जिले में मटका पद्धति से 400 एकड़ में इसकी शुरुआत की गई है। 2015 में यहां पहले ही फल और सब्जियों की खेती में यह प्रयोग हो चुका है। प्रयोग में सामने आया कि यह पद्धति मिट्टी, पौधों की सेहत और किसान की आमदनी तीनों के लिए फायदेमंद है।


कौन से पौधे उगाए जा सकते हैं?

जवाब : सब्जियों और फलों के वार्षिक और बारहमासी पौधों को उगाने के लिए यह पद्धति बेहद कारगर है। सेम, कॉर्न, खीरा, लहसुन, तरबूज, पुदीना, प्याज, मटर, आलू, रोजमेरी, सूरजमुखी और टमाटर जैसे पौधे खासतौर पर लगाए जा सकते हैं। फॉर्म हाउस और बगीचों के लिए भी यह प्रयोग किया जा सकता है। ढलान मैदान वाले भाग जहां पानी रुकता, वहां भी मटका पद्धति से सिंचाई की जा सकती है।

कितने समय के अंतराल पर पानी भरना जरूरी है?

जवाब :  यह मिट्टी के प्रकार, पौधा और जलवायु पर निर्भर रहता है। बंजर जमीन है तो 20 घंटे के अंदर दोबारा मटका भरना होगा। साथ ही इसे ढकना न भूलें, ताकि पानी भाप बनकर उड़ न पाए। अगर सामान्य मिट्टी है तो 24-30 घंटे में पानी भरें। यह पद्धति खासतौर पर उनके लिए फायदेमंद है जो पौधों को ज्यादा समय नहींं दे पाते।

मटका कैसा होना चाहिए?

जवाब : मटका मिट्टी का ही होना चाहिए, किसी धातु का नहीं। हां, आकार में फर्क हो सकता है। कई देशों में अलग-अलग आकार वाले मटके का चलन है जैसे अफ्रीका में सुराहीनुमा और भारत में गोल मटका। मिट्टी के बर्तन से पानी रिसकर ही पौधों की जड़ों को नम रखता है।


मटका काम कर रहा है, कैसे चेक करें?

जवाब: इसमें किसी तरह का छेद नहीं करना है। मटके में पानी भरें, अब देखें इसकी तली में नमी दिखाई दे रही है। ऐसा होने पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

for more details check below link:

https://www.bhaskar.com/lifestyle/happy-life/news/pm-modi-shares-clay-pot-irrigation-methos-in-mann-ki-baat-its-saves-70-percent-water-01593575.html

https://www.bhaskar.com/interesting/news/target-to-develop-forest-in-5000-sq-km-sewage-water-is-being-used-in-plants-126408477.html?ref=ahws

https://www.narendramodi.in/a-daughter-a-tree-and-a-teacher-3036

Tree Plantation : Recycling Plastic bottle in the garden/Parks (Drip irrigation through plastic bottles)

For watering, we can use plastic bottle Drip Irrigation method, which is easy and requires filling of bottles in a matter of days.

Drip Irrigation is a great way to water establishing trees. Getting water directly to the roots is much more efficient than any broadcast irrigation. It is possible to set up drip irrigation without large water tanks and hundreds of feet of pipe. This shows how to use plastic bottles to drip irrigate the trees as below image.

Farmers Innovate – Drip irrigation through bottles

Web link:

1)

Farmers Innovate – Drip irrigation through bottles

2)

Plastic bottle Easy watering system for plants