मंदिरों से मिलने वाले कोकोनट शेल से डेकोरेटिव सामान बनाते हैं दिव्यांग सब्यसाची; देशभर में मार्केटिंग
मंदिर में भगवान को नारियल चढ़ाने के बाद अकसर नारियल शेल को कहीं न कहीं फेक दिया जाता है। नारियल का शेल कचरे में फेंके जाने के बजाए इससे कुछ जरूरत की चीज बनाने के लिए ओडिशा के सब्यसाची पटेल ने एक पहल की। सब्यसाची वेस्ट कोकोनट शेल से काफी खूबसूरत डेकोरेशन का सामान बनाते हैं। इस सामान को ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिए देश के कई हिस्सों में बेचा जाता है।
सब्यसाची दिव्यांग हैं जिन्हें कला से बहुत प्यार है। बचपन से ही इन्हें आर्ट में काफी रूचि रही है। लेकिन नौकरी और पढ़ाई की वजह से इन्हें कभी आर्ट को समय देने का मौका नहीं मिला। एक तरफ कोरोना ने कई लोगों को रुलाया है वहीं दूसरी तरफ कई लोगों के लिए ये एक मौका था खुद को खोजने , समझने और निखारने का। कोरोना दौर में ही सब्यसाची ने नारियल के शेल से कुछ क्रिएटिव बनाने पर हाथ आजमाया और वो कामयाब भी रहे। वे नारियल के वेस्ट शेल से चाय का कप, गिलास, रथ, शिवलिंग, स्कूटर और शिप सहित 18 -20 तरह के हैंडमेड प्रोडक्ट बनाते हैं। जिसमें किसी तरह की मशीन या केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता। सब्यसाची के काम को शुरू हुए 6 महीने ही हुए है लेकिन इनके प्रोडक्ट की डिमांड कई जगह से आ रही है।
आज की पॉजिटिव खबर में जानेंगे हैं सब्यसाची की कहानी जिन्होंने शारीरिक तकलीफ और कई चुनौतियों के बावजूद कला को अपना पेशा बनाया और कई लोगों को उनका काम बहुत पसंद भी आ रहा है…
बच्चों के प्रोजेक्ट से आइडिया आया
सब्यसाची नारियल के वेस्ट शेल से 18 -20 तरह के हैंडमेड प्रोडक्ट बनाते हैं। जिसमें किसी तरह की मशीन या केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता।
29 साल के सब्यसाची पटेल ओडिशा के बलांगीर जिले के पुइंतला गांव के रहने वाले हैं। वो बचपन से दिव्यांग हैं। रीढ़ की हड्डी में दिक्कत होने के कारण ज्यादा समय तक खड़े नहीं रह सकते हैं और ना हीं ठीक से चल पाते हैं। बचपन से इन्हें आर्ट एंड क्राफ्ट में काफी रूचि थी लेकिन कभी सीखने का मौका नहीं मिला। लॉकडाउन ने उन्हें एक बेहतर मौका दिया जिसमें उन्होंने अपने हुनर को तराशा।
सब्यसाची बताते हैं, “आर्ट का शौक मुझे बहुत पहले से था और मैंने पहले थर्माकोल, फल-सब्जियों में कार्विंग का काम किया था। लॉकडाउन में मेरी भांजी को एक प्रोजेक्ट मिला था जिसमें साबुन पर कार्विंग कर कुछ नया तैयार करना था। उसी का प्रोजेक्ट बनाने के दौरान मुझे नारियल के शेल पर कार्विंग करने का आइडिया आया।”
सब्यसाची ने इस साल लॉकडाउन में यूट्यूब के जरिए नारियल वेस्ट शेल से डेकोरेशन का सामान बनाना सीखें। पहले इस काम को उन्होंने शौक के तौर पर आजमाया और अब उनका शौक उनका बिजनेस बन गया है।
शारीरिक तकलीफ के कारण नौकरी छोड़नी पड़ी
स्पाइन में तकलीफ के कारण सब्यसाची बहुत देर तक खड़े नहीं हो सकते न थे देर तक चल सकते हैं।
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